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Jyoti Priyadarsini Sahoo

Inspirational

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Jyoti Priyadarsini Sahoo

Inspirational

तुम ही हो ना

तुम ही हो ना

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आगे चली में आग कि तलास में

ठोकर भी खाया बहुत

वो आग भी क्या मुझ तक आएगा

बुझी हुई मसाल हु में।


राह तो उन्होंने भी दिखाया 

चलना भी उन्होंने सिखाया

पर कंकड़ साफ तुमने ही किया ना

दरी सहमी सी पथिक हु में।


स्तिर में रहती आयी हु 

बहाब में डर लगता है

नए पंख तुम ही बने हो ना 

नन्ही सी मछली हु में।


अंधेरे घर में रखने बाले थे ही 

रोसनी का दरबाजा भी खोल गया

पर हाथ पकड़के तुमने ही खींचा ना

भोली सी पारी हु में।


आंसू सबने देखा है 

मुस्कान सबको पसन्द है

पर जीने के लिए कुछ और भी चाहिए

वो भी तुमने ही बताया न।


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