मातृशक्ति
मातृशक्ति
नारी शक्ति उभर कर, दुनियावी पिंजरे से बाहर आओ।
जप तप कर मन का सुविस्तार कर ब्रह्मलीन हो जाओ।
अष्टसिद्धियां प्राप्य, नवचक्र जागरण, पुरुषत्व जगाओ।
अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य जानो।
ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं, इनको पहचानो।
इन अष्टसिद्धियों हेतु तप एवम् साधना कर गुरुत्व लाओ।
अणिमा से देह को अणु सम सूक्ष्म करने की क्षमता पाओ।
महिमा पा तन का आकार अति वृहत कर सर्वत्र छा जाओ।
गरिमा से, शरीर को अत्यन्त भारी बना कर स्थिरता पाओ।
लघिमा से शरीर को भार रहित कर व्योम पार तक जाओ।
प्राप्ति से बगैर रोक-टोक, किसी भी स्थान पर जा पाओ।
प्राकाम्य प्राप्त कर मनोवांछित फलाफल तुम नारी पाओ।
ईशित्व से हर वस्तु व प्राणी पर पूर्णाधिकार कर दिखाओ।
वशित्व से प्रत्येक प्राणी को, वश में कर सत्कर्म करवाओ।
तोड़ कर सारे बंधन, तुम मातृशक्ति बन, दासता ठुकराओ।
आकर्षक वस्तु नहीं भोग की, प्रकृति का परचम लहराओ।
