सर्वत्र है सर्वत्र है, स्वार्थ ही सर्वत्र है। प्रेम तो सदा ही से अभिशप्त है, क्युंकि स्वार्थ ही स... सर्वत्र है सर्वत्र है, स्वार्थ ही सर्वत्र है। प्रेम तो सदा ही से अभिशप्त है, ...
गए थे मिलके देवगण भेद भांपने जो वो अगम अभेद शिव का ज्योति शिखर ऊंच हूं। गए थे मिलके देवगण भेद भांपने जो वो अगम अभेद शिव का ज्योति शिखर ऊंच हूं।
बहुत खूबसूरत बहुत खूबसूरत
'भगवान सर्वत्र व्याप्त है, उन्हें मंदिर मंदिर ढूंढने की जरुरत नहीं है, अगर सच्चे मनसे पुकारोगे तो व... 'भगवान सर्वत्र व्याप्त है, उन्हें मंदिर मंदिर ढूंढने की जरुरत नहीं है, अगर सच्च...
यथार्थ मृत्यु से क्या छिपना ? यथार्थ मृत्यु से क्या छिपना ?
पुस्तकें वर्तमान अस्त्र है। इससे बड़ा न कोई शस्त्र है।। पुस्तकें वर्तमान अस्त्र है। इससे बड़ा न कोई शस्त्र है।।