Chetan Gondaliya
Abstract
घने कोहरे ,
मिल बैठे सर्वत्र ,
किरणें लाने !
निवृत्त सेनान...
सबसे सच्चा और...
सफर जारी है.....
सूख लगे...
फ़ुरसत
समय बहरा होता...
जरूरी था...
सीख लो..
किये होंगे...
वो साल उसे याद हो न हो मुझे याद है। वो साल उसे याद हो न हो मुझे याद है।
रँग - बिरंगी तितलियों ने, बगीचे में नृत्य - गान किया। रँग - बिरंगी तितलियों ने, बगीचे में नृत्य - गान किया।
खुद पर लाद घूम रहे हैं सारे काम जरूरी लेकर, जंगल जंगल भटक रहे हैं हम सारे कस्तूरी लेकर खुद पर लाद घूम रहे हैं सारे काम जरूरी लेकर, जंगल जंगल भटक रहे हैं हम सारे कस्...
दिल तो बेचारा दिल इस आस में कई साल गुजारा दिल तो बेचारा दिल इस आस में कई साल गुजारा
बेपनाह इश्क का पहला गुलाब, हसीन कोई ले रही नहीं जनाब। बेपनाह इश्क का पहला गुलाब, हसीन कोई ले रही नहीं जनाब।
कोटि मुसाफिर मिलें पर अपने कर्मों का हमसफ़र कोई नहीं कोटि मुसाफिर मिलें पर अपने कर्मों का हमसफ़र कोई नहीं
आज मिलने की वजह ढूँढता क्यों हर रिश्ता, एक दूजे से बेवजह ही होता जा रहा अनजान है आज मिलने की वजह ढूँढता क्यों हर रिश्ता, एक दूजे से बेवजह ही होता जा रहा अनजा...
पहले आंखें खोल ऊंआ ऊंआ कर रोई । डॉक्टर बोली प्यारी सी गुड़िया है आई। पहले आंखें खोल ऊंआ ऊंआ कर रोई । डॉक्टर बोली प्यारी सी गुड़िया है आई।
अब स्त्रियां अंधेरे में भी निडर होकर चल पाती है, अब स्त्रियां अंधेरे में भी निडर होकर चल पाती है,
लालच, द्वेष मानव गुण है इससे बड़ा नहीं यहाँ भीख । लालच, द्वेष मानव गुण है इससे बड़ा नहीं यहाँ भीख ।
मस्त मलंग से भौरों की गुनगुन में भी है एक संगीत, मस्त मलंग से भौरों की गुनगुन में भी है एक संगीत,
नये प्रेम का दौर है और सब संवर रहे हैं। नये प्रेम का दौर है और सब संवर रहे हैं।
इश्क़ वो गुनाह है, इश्क़ वो धोखा है, इश्क़ इबादत नहीं, अब हवस बना है। इश्क़ वो गुनाह है, इश्क़ वो धोखा है, इश्क़ इबादत नहीं, अब हवस बना है।
अब कहां वो वक्त जो कल साथ गुजारा करते। एक दूजे बिना अधूरे और एक दूजे पर मरते।। अब कहां वो वक्त जो कल साथ गुजारा करते। एक दूजे बिना अधूरे और एक दूजे पर मरते।...
अजब दुनिया है ,गजब हैं लोग, सबके हैं अपने ,अलग अलग रोल। अजब दुनिया है ,गजब हैं लोग, सबके हैं अपने ,अलग अलग रोल।
हवा की सफ़र में बयार बैर हो अगर बेअसर तलाश हूँ जवाब दूं क्या हवा की सफ़र में बयार बैर हो अगर बेअसर तलाश हूँ जवाब दूं क्या
यह मनुष्य का पशुवत व्यवहार पशु नहीं वो सबके सब मानव हैं.. यह मनुष्य का पशुवत व्यवहार पशु नहीं वो सबके सब मानव हैं..
देर रात जगना, उल्लू सा उठना, रिश्तों में पड़ना , उसमें उलझना, देर रात जगना, उल्लू सा उठना, रिश्तों में पड़ना , उसमें उलझना,
इंसानियत को कैसे खतरे में डाला। ना तू बचने वाला न मैं बचने वाला। इंसानियत को कैसे खतरे में डाला। ना तू बचने वाला न मैं बचने वाला।
कुर्सी बैठने की चीज है न कि माथे पर लेकर चलने की। कुर्सी बैठने की चीज है न कि माथे पर लेकर चलने की।