shekhar kharadi
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घने अंधेरों से क्या भटकना ?
प्रेत-पिशाच से क्या डरना ?
मशान घाट से क्या भागना ?
यथार्थ मृत्यु से क्या छिपना ?
जब साथ हो, जब पास हो
साक्षात महाकाल का नाम
तब अंधियारा भी छट जाएगा
बस फैलेगा सर्वत्र उजियारा....
ममतामय स्नेह
धनुषाकार वर्ण...
वर्ण पिरामिड ...
शाश्वत नश्वर
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क्षणिका
कटीं हुई पतंग
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