तांका लघु काव्य
तांका लघु काव्य
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- बुद्ध नगर
- शांत चला संन्यासी
- प्रातः वंदन
- रवि स्पर्श के साथ
- करें पुष्प अर्पण ।
- ये क्षण क्षण
- प्रकृति मुस्काएं ,
- अनंत हवा
- चले भिक्षु के संग
- अत्यंत गंध लिए ।
- धैर्य से पाना
- मधुर शीतलता
- करुणा भरें
- हृदय में जाकर
- मिलेगा सत्य भाव ।