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DrKavi Nirmal

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महावीर जयंती

महावीर जयंती

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⚜️ ⚜️⚜️☸️🕉️ हनुमान जयंती 🕉️☸️⚜️⚜️⚜️


श्रीम के, समकालीन भक्तदूत, भक्ति स्वरुप है।

सत्यार्थी, सच्चे मित्र सत्-पथिक, संदेश-वाहक हैं।।

भक्त हनुमान जहाँ-जहाँ, श्री राम, वहाँ जाते।

विश्राम टिकता कहाँ, जहाँ, श्री राम बसते।।

जहाँ तम् नहीं, निष्काम कर्म की, खुले बही।

उचंट खाते के, सारे हिसाब कर, अब सही।।

शुभ प्रभात अनमोल, खोलो, बही मोटी-बड़ी।

हिसाब चुकाने होगें, मंगलवार की, शुभ घड़ी।।

पवन पुत्र हनुमान, सही को निश्चित टारें।

किए पीढ़ा में प्यार, गदा चला दुख मारें।।

पवन पुत्र हनुमान, कर्म शुभ जाप तुम्हारा।

सब कथनी से काम, तुम्हीं बनते सहारा।।

गोवर्धन और राम सेतु का, भेद सुनाएं।

राम एवं कृष्ण काल, अंतराल बड़ा बताएं।।

गोवर्धन पर्वत, पौराणिक कथा, सुनने में आई।

हिमालय के, द्रोणांचल पर्वत की, चर्चा आई।।

अयोध्या के सूर्यवंशी, श्रीराम सात हजार वर्ष पूर्व आये।

मथुरा के कान्हा पांच हजार साल पूर्व, लीला दिखाये।।

दो हजार वर्षों का, अंतरात शुन्य, अद्भुत यही लीला है।

पुलस्त्य ऋषि तपोबली, आश्चर्यजनक नहीं मिला है।।

हिमालय तीर्थाटन, ऋषि को नैसर्गिक गोवर्धन लुभाए।

तातश्री द्रोणांचल से, स्वयं को वे काशिवासी बताए।।

निवेदन तात से विनम्र, अपने साथ ले जाउँगा।

इसके पूजन वंदन से, भवसागर तर जाउँगा।।

अनुमति पा, ऋषि गिरिराज, सर पर रख ले आए। 

गोवर्धन रखे धरा पर, वहीं स्थापित होए, बताए।।

संयोगवश मार्ग में, तप इच्छा ऋषि हृदय में गहराई।

रखा ध्यान वर्षों, ऋषि उठाने में व्यर्थ शक्ति गवांई।।

क्रोधित ऋषि श्राप, अहंकारी घट लुप्त हो जाएगा।

तीन हजार मीटर से घट, तीस मीटर ऊँचा तूं पाएगा।।

हनुमान लंका सेतु निर्माण हेतु पाषाण लाए थे।

सेतु बनने का संदेश, रामेश्वरम दौड़ लगाए थे।।

इंद्रदेव महाप्रलय की, कुटील योजना बनाई।

कान्हा डूबतों की, गोवर्धन उठा प्राण बचाई।।

सात दिन पर्वत उठा, कनिष्ठा पर, अस्थायी नगरी बसाई।

लीला लख, ग्वाल ग्वालिनों की आँखे डब डब भर आईं।।

इन्द्र साद, वृष्टि थमी, पर्वत को धरा पर रखे लीलाधर।

तबसे करते सब, गोबर्धन गिरिराज की पूजा मिलकर।।

हनुमान प्राकट्योत्सव आज, शोभा यात्राएं, निकली भारी।

कलिकावतार संग, आ रही भगुआधारियों की, सेना भारी।।


डॉ. कवि कुमार निर्मल


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