पार्थ सारथी और सुदर्शन चक्र
पार्थ सारथी और सुदर्शन चक्र
🌀🌀पार्थसारथी कृष्ण और सुदर्शन चक्र🌀🌀
सुदर्शन चक्र से सर काटे, कृष्ण हठी वीर बर्बरीक का।
बना मूक चश्मदीद गवाह, निर्णायक वह 'कुरुक्षेत्र' का।
पार्थ सारथी कृष्ण का शंखनाद, युद्धारंभ पांचजन्य से।
कालचक्र थमा गोधुलि बेला में, लीलाधर की आज्ञा से।
विराट रूप दर्शन कर, विचलित अर्जुन, अश्रुपूरित थे।
वाणों की शैय्या पर गंगापुत्र भिष्म पितामह स्तब्ध थे।
अठारह दिन का युद्ध, नित्य गीता ज्ञान सरोवर भरते।
अठारह अक्षोहिनी योद्धा, युद्ध पर्यंत युद्ध में लिखते।
युद्ध शेष, बर्बरिक से निर्देशित देखा हाल जब पूछे।
युद्घ में अहम भूमिका श्री कृष्ण की, मायापति पूछे।
संपूर्ण युद्घ में सुदर्शन चक्र घूमा, कृष्ण ही युद्घकर्ता।
श्री कृष्ण ही सेना के संहारक, निमित्त अधर्म हर्ता।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
