पृथ्वी और पर्यावरण
पृथ्वी और पर्यावरण
- पृथ्वी और पर्यावरण
- ब्रह्म चक्र संचर प्रतिसंचर की वर्णनातीत महामाया।
- पृथ्वीलोक पर मानव हरिकृपा से, अवतरण पाया।।
- तीन अरब वर्ष पूर्व, जल से ठोस धरा उभर कर आई।
- बीग बैंग सिद्धांत पहेली, हमको समझ में नहीं आई।।
- पादप- शैवाल ६५ करोड़ वर्ष पूर्व जल में जीवन आया।
- ३१ करोड़ वर्ष पूर्व, पशु-पंक्षी मानव तन ले कर आया।।
- बुद्धि का विकास हुआ, चकमक पत्थर मानव पाया।
- ४३ लाख साल पहले, अग्नि जला पका अन्न खाया।।
- ८ हजार पहले, शिव ने परिवार का सुपथ दिखलाया।
- विकास हुआ पृथ्वी का तो यह आधुनिक युग आया।।
- पचपन वर्ष पूर्व, दस लाख बुद्धिजीवी, पृथ्वी दिवस मनाए।
- विश्व बँधुत्व का परचम्, विश्व कल्याणार्थ ध्वजा फहराए।।
- करुणा नहीं, पशु भक्षण व वृक्ष काट कर, क्रूर हो बनते। भूकंपन, आंधी-तूफान व बाढ़ झेल कर भी, नहीं डरते।।
- जल जीवन है अत:, अपव्यय त्याग- जल संग्रह करते।
- धरती माता पर, हरितिमा फैलाओ, बंजर भूमि तरसे।।
- डॉ. कवि कुमार निर्मल
