मेरे पापा (मेरी पहचान )
मेरे पापा (मेरी पहचान )
माना आज मैं बड़ी हो गई हूँ ,
भीड़ में अकेले खड़ी हो गई हूँ ।।
इस दुनिया को पहचानने लगी हूँ ,
अब मैं अपने दिल की मानने लगी हूँ ।।
अपनी अलग पहचान बनाने चली हूं,
एक मुठ्ठी आसमान बनाने चली हूं।।
सबके सामने बहुत मजबूत बनती हूँ,
और आजकल मैं किसी कि नहींं सुनती हूँ ,
लेकिन आज भी वो सिर्फ आप हैं ,
जिसकी बात मैं टाल नहीं सकती,
जिसको मुश्किल में डाल नहींं सकती।।
जिसके कहने भर से हर बात सच हो जाती है,
जिसके सर पर हाथ फेरने से हिम्मत आ जाती है,
जिनकी वजह से ये दिल गुनगुनाता है ,
वो और कोई नहीं मेरे पापा हैं।।
जो आपने मेरे लिए किया वो बहुत ज्यादा था,
जो आपने निभाया वो एक उम्र भर का वादा था।।
अब जब मैं बड़ी हो गई हूँ ,
अपने पैरों पे खड़ी हो गई हूँ ,
अब, बस भगवान से मेरी यही दुआ है,
कि जब भी वो दिन आए ,जब आपको मेरी जरूरत पड़ जाए,
बस उस दिन मेरे पैर कभी ना लड़खड़ाएं।।
