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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

Inspirational

जीवन

जीवन

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रूह जब बेकरार थी ऊंँचे अरमानों में......

बुलंदियों की मंज़िल नजर आती थी आसमानों में....

वाकिफ़ कहाँ थे वो ख्वाहिशों की उड़ानों से.....

कायर थे जो हार गए बनावटी ज़मानो से......

दुनिया- ए-आफ़ताब देखने का नजरिया अलग है...

उस पर टिके रहने का हुनर भी अलग है....

खुद से क्यों इतनी बेरहमी आशा है.......

जब ऊंँचाई शोहरत पल भर का तमाशा है......

थी चाह गर्दिश-ए- किस्मत में एक जुगनू देखूँ...

जुल्मत-ए-शब में एक उभरता नजारा देखूँ....

चमक जरा सी ये जो पाने लगे......

माने को फिर नजर आने लगे....

अनुभव की तपिश की आग में जो तपने लगे..

सितारों के बीच आफ़ताब सा चमकने लगे ।



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