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Sri Sri Mishra

Tragedy

4  

Sri Sri Mishra

Tragedy

सरहद

सरहद

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खबर क्या थी.. जा रहे हैं बोल कर जो दो मीठे बोल..

इक पल में गवाएंँगे जान जो देश की है प्रिय अनमोल..

विदा कर रही थी जो...

क्या गजब थी.. उस बिंदी की अनूठी चमक..

गीत गा रहे थे जो चूड़ी कंगनों की खनक...

पांँव की माहवर हाथों की मेहंदी सुर्ख लाल हो उठी थी..

नूपुर की छनक से प्रांगण की हर चौखट खिल उठी थी..

सोच रही थी वह अर्धांगिनी..

इंतजार में दिन रात कैसे अब बीतेंगे..

आने पर ही दु:ख सुख की व्यथा सब कहेंगे..

अभी तो कर्तव्य का मार्ग है निभाना..

प्रहरी बन सरहद पर है जागना उठना..

सहसा चेहरे की रौनक खो सी गई..!!!

दुख कि वह मनहूस खबर

कोमल हर मन को स्तब्ध सी कर गई..

शांत हो गई वह अब चूड़ी की खनक..

बुझ सी गई अनूठी वह बिंदी की चमक..

बदल गई सोच अब उसकी..

देश के लिए सुहाग जो न्योछावर कर गर्वित हो उठी थी..

अब तो बस उसकी याद में जीना है..

अस्तित्व में अपनी अब वह वीरांगना है.



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