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Nishant Singh

Drama

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Nishant Singh

Drama

क्योंकि चुनाव है

क्योंकि चुनाव है

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जनसाधारण की

सामाजिक एवं आर्थिक 

परिस्थितियों के वास्तविक

मुद्दों का अभाव है

क्योंकि चुनाव है !


है किसी जाति का सहारा

या किसी धर्म का प्रभाव है।

चौकीदार और चोर का नारा,

या फैले आरक्षण का जमाव है

क्योंकि चुनाव है !


सब कहते एक एक मत,

तय करे राष्ट्र का भविष्य

पर दिखता मित्र

मित्र में दुर्भाव है

क्योंकि चुनाव है !


बढ़ती असमंजसता

कैसे करूं मतदान,

हार कोई खुद को

बेहतर बता दे रहा ज्ञान

चुनूं राष्ट्र वाद का राजनीति करण,

या सबक सिखाऊं राष्ट्र भक्षकों को।


गौर करूं समाचारों पर या,

सुनूं राजनैतिक शिक्षकों को

सत्ता के गलियारों में,

हुए गजब बदलाव है

क्योंकि चुनाव है !


सब की भांति स्वार्थ मेरा भी है

पर देश हित हो ये

परमार्थ मेरा भी है

दोषारोपण के इस घृणित खेल में,

कीमत राष्ट्र चुकाता है।


मुस्कुरा दल बदल,

ठेंगा हमें दिखा दिखता है।

जो औरों को बेईमान बता,

उन्हीं संग बैठ के खाता है।


अच्छे और बुरे चोरों मे किसे चुने,

मीडिया पारदर्शिता का भी झुकाव है

क्योंकि चुनाव है !


सावधान ! हे जन महान,

गिद्धों का यहां जमाव है

एक एक मत बहुमूल्य है,

स्वचिंतन ही सुझाव है

क्योंकि चुनाव है !


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