सेर बनकर गज़ल में समाना कभी
सेर बनकर गज़ल में समाना कभी
याद करना कभी याद आना कभी
याद करके हमे मुस्कुराना कभी
यार को प्यार करते सभी लोग है
दुश्मनों से भी दिल को लगाना कभी
वक्त पड़ता कभी तो दगा देते सभी
कब हुआ हैं किसी का जमाना कभी
गैर को बात दिल की सुनाते रहे
बात दिल की हमें भी बताना कभी
घर गली दिल जयाबार होगा सभी
दिल नही तुम दिया ही जलाना कभी
शायरी भी हमारी सबर जाएगी
सेर बनकर गज़ल में समाना कभी
प्यार से यू न देखो हमारी तरफ़
हो न जाये धर्म भी दिवाना कभी।