जब कहते हो
जब कहते हो
जब कहते हो
ओ मैडम ओ बहनजी
जब तुम कहते हो
सड़क पर गाड़ी चलाती
किसी महिला या लड़की से
अचानक मुड़ जाने या
गाड़ी के डगमगाने पर
गुजर जाते हो एक विद्रूप
अश्लील मुस्कान उस पर फेंक
अपने गाड़ी चलाने के कौशल पर मुग्ध
चटका देते हो आत्मविश्वास
घर परिवार और खुद से जूझते
जो इकठ्ठा किया था
जाने कितने दिनों महीनों सालों में
खिर जाती है
चटके आत्मविश्वास की एक कनी
उसी मोड़ पर
ढूँढ कर जिसे फिर जोड़ने में
न जाने फिर लगेगा कितना समय
खुद को पाने की जंग
शुरू करना होगी नए सिरे से।
