सुना है
सुना है
सुना है आज कल तुम हमारी गालियों में नज़र आया करते हो।
क्या बात है जनाब अपने आशियाने का पता भुल जाया करते हो।
हमने तो मोहब्बत की फ़रियाद की थी तुमसे।
जाना वो तुम्ही हो जो रंजिशे बढ़ाया करते हो।
सुना है तुम आज कल अकेले में रो जाया करते हो।
क्या हुआ जो हमारी महफ़िलों में तुम गुमनाम आया करते हो।
तुम्हारे जुर्म की सज़ा तो हमने काट ली ही सनम।
तो क्यों हमे पूरी दुनिया से छुपाया करते हो।
सुना है रातों तो अब तुम भी जागा करते हो।
अब क्यों अपना चैन हमसे मांगने आया करते हो।
हमने तो कब का छोड़ दिया तुमसे दिल लगाना।
फिर क्यों वो हर बार हमारा दिल दुखाने आया करते हो।
सुना है तुम अब गैरो की बाहों में दिखा करते हो।
तुम मोहब्बत पे नहीं वो दौलत देख बिका करते हो।
सुना है अब तुम्हें अपनी माशूका की बाहों में करार नहीं आता।
क्यों उसकी आँखों में हमें देखा करते हो।
