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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

याद  करके हमें  मुस्कुराना  कभी

याद  करके हमें  मुस्कुराना  कभी

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याद करना कभी याद आना कभी

याद करके हमें मुस्कुराना कभी


यार को प्यार करते सभी लोग है

दुश्मनों से भी दिल को लगाना 

कभी


वक्त पड़ता कभी तो दगा देते सभी

कब हुआ है किसी का जमाना कभी


गैर को बात दिल की सुनाते रहे

बात दिल की हमें भी बताना कभी


घर गली दिल जयाबार होगा सभी 

दिल नहीं तुम दीया ही जलाना कभी


शायरी भी हमारी सबर जाएगी

सेर बनकर गज़ल में समाना कभी


प्यार से यूँ न देखो हमारी तरफ़

हो न जाये धरम भी दीवाना कभी



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