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Antima Vind

Abstract Drama

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Antima Vind

Abstract Drama

तुम मुझसे ऐसे मिले कि

तुम मुझसे ऐसे मिले कि

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तुम मुझसे ऐसे मिले कि

मेरी प्रेरणा के पौधे में

एक शाखा और लग गई

दिखती थी एक तस्वीर

धुधली सी मेरे सपनों में


पर तुम्हारे रंगों के छिटों से,

अब चमक सी गई

तुम मुझसे ऐसे मिले कि,

मेरी ख्वाबों की डोर

फिर से आगे बढ़ी बहुत दूर,


सही और गलत के पार

जहां मेरे कल्पनाओं की

रहस्यमयी दुनियां बसी थी

तुम मुझसे ऐसे मिले कि

 जैसे मेरे बीते लम्हें भी

प्रकाशित होकर

सूर्य की नवीन किरणों से,

झरने के पानी की तरह,

एक नई दिशा ले रहे हैं।


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