बचपन
बचपन
अनजान थे खुद से कभी,
अनजान सी एक दुनिया थी...
झिलमिलाते थे ख्वाब कई,
पर अनजान सा रास्ता था ...
ऐसा कभी एक बचपन था।।
अनजान थे उन लहरों से भी,
जो समुद्र में समाती थीं ...
अनजान सी थीं दोस्ती,
फिर भी प्यार से लहराती थीं ...
ऐसा कभी एक बचपन था।।
अनजान सी मंजिल कहीं,
फिर भी उड़ने को पंख फड़फाड़ता था ...
अनजान थे उस आसमां से,
फिर भी चांद से हमारा नाता था ...
ऐसा कभी एक बचपन था ।।
अनजान थे हम प्यार से,
फिर भी शिद्दत से निभाये थे ...
अनजान थे खुद से कभी,
फिर भी खुद को खुद से मिलाते थे ...
ऐसा कभी एक बचपन था।।
