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Antima Vind

Abstract

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Antima Vind

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Dosti

Dosti

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पता है तुम्हारे साथ ,

चांदनी रातों में ,

छत के एक कोने में,

बैठकर चांद ,

देखने के सपने देखती हूं ।

माना कि चांद मुझे ,

बहुत पसन्द है,

अंधेरी रातों में ,

पर तुम्हारे आने से पहले ,

किसी के कंधे पर ,

अपना सर रखकर ,

चांद को निहारू ,

मेरे ख्वाबों की भी,

ख्वाइशे नहीं थीं ।

अकेलापन क्या होता है,

शायद इस दौर से,

कभी गुजरे नही है ,

पर तुम्हारा संग ,

हर दिन एक नए,

हौसले के साथ ,

खड़ा कर देता है ।

पता नही क्या हो,

कैसे हों और क्यों हों,

पर जो भी हो ,

मेरे लिए बहुत कुछ हों ।

पता नहीं कितने,

कदम चलूंगी तुम्हारे साथ ,

जिन्दगी के ,

पर चाहती हूं ,

मेरे साथ भी और,

मेरे बाद भी ,

हर पल बरकरार रहे,

आपका खुशियों से,

थी एक छबि ,

मेरे मन में भी कि,

एक लड़का और लड़की,

कभी दोस्त नही हो सकते ,

पर अब पता चला कि,

दोस्ती विशेषता की,

मोहताज नहीं होती ।



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