Antima Vind
Abstract Tragedy Inspirational
शोर है पर डर,
नहीं है उसको विचलित होने का।।
काश ये हुनर छू लेता हमको भी,
खुद को यूं सजोने का।।
जीवन
Dosti
जिन्दगी
तुम मुझसे ऐसे...
अकेलापन
जिन्दगी & सफर
इंसानियत
बचपन
जिम्मेदारियां
बेवजह की बातों में वक्त जाया करते हैं। बेवजह की बातों में वक्त जाया करते हैं।
क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था । क्या मसर्रत का ,क्या तो दर्दो -ग़म । ज़ायका हर शै का ही खारा था ।
बाकी तो कोई शक्ति है जो पूरी सृष्टि को चला रहा है जो इंसान न कभी समझ सकता है बाकी तो कोई शक्ति है जो पूरी सृष्टि को चला रहा है जो इंसान न कभी ...
देवता पाषाण के इतना बता दो और कितने दिन शिला बनकर रहोगे। देवता पाषाण के इतना बता दो और कितने दिन शिला बनकर रहोगे।
जो मैंने दिया था अपने माँ-बाप को, उनकी वृद्धावस्था में। जो मैंने दिया था अपने माँ-बाप को, उनकी वृद्धावस्था में।
ये एक छप्पर नहीं एहसास की व्यथा है, यही मानव जीवन और समाज की कथा है। ये एक छप्पर नहीं एहसास की व्यथा है, यही मानव जीवन और समाज की कथा है।
धन बिन कैसे पढ़ना लिखना कलम फावड़ा हाथ एक है। धन बिन कैसे पढ़ना लिखना कलम फावड़ा हाथ एक है।
माँ अपनी है तो बच्चों की माँ भी अपनी है ये भी तो समझना है। माँ अपनी है तो बच्चों की माँ भी अपनी है ये भी तो समझना है।
मुक्ति मिल जाएगी प्यार को नई देह धारण करने के लिए। मुक्ति मिल जाएगी प्यार को नई देह धारण करने के लिए।
Comparison between a tree and a woman's identity and success अपने घर का बीज रवायत के नाम पर औरो... Comparison between a tree and a woman's identity and success अपने घर का बीज र...
फ़लसफ़े को तरसते तेरी दीद के दीवाने अर्श-ओ-मिराज़, लुत्फ़-ए-हया मरमरी-ए-संगी आलम-ए-हैरानी देखा... फ़लसफ़े को तरसते तेरी दीद के दीवाने अर्श-ओ-मिराज़, लुत्फ़-ए-हया मरमरी-ए-संगी आलम-...
क्योंकि वक़्त ही ऐसा वक़्त है जो सबका आता है। क्योंकि वक़्त ही ऐसा वक़्त है जो सबका आता है।
इसलिए रिहा हो रहा हूँ मैं इस पार्थिव पिंजर से। इसलिए रिहा हो रहा हूँ मैं इस पार्थिव पिंजर से।
नींद नहीं आती, गिन गिन कर तारों को करवटें बदलकर सोयें, फैला चाँदनी का आँचल। नींद नहीं आती, गिन गिन कर तारों को करवटें बदलकर सोयें, फैला चाँदनी का आँचल।
भरा हुआ है एक खाली कमरा मेरे वजूद से। भरा हुआ है एक खाली कमरा मेरे वजूद से।
हर तरफ, सब हाथ जोड़े खड़े थे, हर तरफ, सब हाथ जोड़े खड़े थे,
मां तुम हो मेरा जहां, तुमसा और कौन कहां। मां तुम हो मेरा जहां, तुमसा और कौन कहां।
प्रभू के दर्शन सहज मिले मन में सेवा के भाव तू भर। प्रभू के दर्शन सहज मिले मन में सेवा के भाव तू भर।
अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए ही बढ़ने दो मुझे। अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए ही बढ़ने दो मुझे।
पत्थर तक सीमित समझ रखी, पहचाने मोल न हीरों के। पत्थर तक सीमित समझ रखी, पहचाने मोल न हीरों के।