STORYMIRROR

Atul Sharma

Abstract

3  

Atul Sharma

Abstract

आज और कल

आज और कल

3 mins
192

एक समय वह था जब हमें,

पिताजी के काम में

हाथ बटाना अजीब लगता था।

लेकिन आज समय है कि,

हम पिताजी के बिना बताए ही

उनका आधा काम कर आते हैं।


एक समय वह था जब हमें,

माँ को परेशान करना पड़ता था

(हमारे कार्यों के लिए),

लेकिन आज समय है कि,

माँ को बिना परेशान किये हुए ही

अपना काम खुद कर लेते हैं।


यह समय कुछ और है...

वह समय कुछ और था...


एक समय वह था,

जहाँ हमारी मुस्कुराहट के साथ ही

सुबह हुआ करती थी।


लेकिन आज समय कुछ यह है कि

उदासियों के साथ ही शाम हो जाती है।


एक समय वह था जब हम,

घर से मुस्कुराकर खेलने जाया करते थे।

ओर आज समय कुछ यह है,

कि मुस्कुराने के लिए खेलने जाना पड़ रहा है।


एक समय वह था जब

हमारे घर के बड़े सदस्य

हमें विद्यालय छोड़ने जाते थे।

और आज समय कुछ यूं है,

कि हमने ही विद्यालय से

घर तक का रास्ता देख लिया है।


एक समय वह था की जब हम,

विद्यालय की कॉपी, किताबों के

लिए जिद किया करते थे।

लेकिन आज समय यह है कि,

आज खुद की डायरी के लिए भी

प्रबंध करना पड़ रहा है।


एक समय वह था जब,

हमारी प्रत्येक ख्वाहिशें पूरी हुआ करती थी।

लेकिन आज समय कुछ ऐसा है कि

जरूरतों के भी लाले पड़े हुए हैं।


एक समय वह था,

जब हम घर के बड़े सदस्यों

के साथ बैठा करते थे।

और आज समय है कि,

हमें TV, MOBILE से ही फुरसत नहीं मिल रही है।


एक समय वह था जब हम,

घर के बड़े सदस्यो के साथ

कहीं घूमने जाने की जिद किया करते थे।

और आज कुछ समय ऐसा है कि,

चाहते हुए भी कहीं नहीं जा पा रहे हैं।


एक समय वह था जब हमें,

दोस्तों के साथ खेलने जाना पड़ता था।

लेकिन आज समय कुछ यूं है कि

इंटरनेट पर ही चेटिंग-चेटिंग खेलना पड़ रहा है।


क्योंकि यह समय कुछ और हैं,

वह समय कुछ और था।


एक समय वह था जहाँ ,

हमें कुछ भी नहीं करना पड़ता था।

और आज तो मैनेज करके ही,

बहुत कुछ मैनेज करना पड़ रहा है।


एक समय वह था जब हम,

पूरे घर के सदस्य एक साथ बैठकर टी.वी.देखा करते थे।

लेकिन आज समय कुछ यूं है,

कि टीवियाँ केवल कमरों के शोभा बढ़ा रही है।


एक समय वह था जब हम,

सर्दी के मौसम में ऊनी कपड़ों से

हमारा शरीर सजाया करते थे।

लेकिन आज समय कुछ यूं है,

कि चन्द कपड़ो में ही पूरा सर्दी का

मौसम निकाल देते हैं।


एक समय वह था जब हम,

गर्मी की छुट्टियां मामा-बुआजी के

यहाँ गुजारा करते थे।

लेकिन आज समय है कि हम,

गर्मी की छुट्टियां नए दफ़्तरों

की तलाश में गुज़ार देते हैं।


एक समय वह था जब हम,

बरसात के पानी से खुश होकर नहाया करते थे

लेकिन आज समय यह है कि

दफ्तरों से आते समय न चाहते हुए भी नहा लेते हैं (पसीने से)


एक समय वह था जब हम,

रविवार की छुट्टियां बड़ी खुशी-खुशी गुज़ार देते थे।

लेकिन आज समय है कि हम रविवार की छुट्टी,

सोमवार के काम-काज को याद करने में गुज़ार देते हैं।


एक समय वह था जब हम,

त्योहारों पर नए कपड़े

लाने की जिद किया करते थे।

लेकिन आज समय है कि

पुराने कपड़ो से ही काम चला लेते हैं।


एक समय वह था जब हम

चीज़ों के लिए रोया करते थे।

लेकिन आज समय है कि,

चीजों ने ही हमें उदास करके रखा है।


क्योंकि यह समय कुछ और है,

वह समय कुछ और था।


एक समय वह था,

जब हम पिताजी को सलाह दिया करते थे

कि पिताजी हमारे घर में भी ऐसा होना चाहिए।

लेकिन आज समय कुछ इस प्रकार है,

कि बस मैनेज होना चाहिए।


एक समय वह था जब हम,

बहुत कम सिक्को में भी

बहुत ज्यादा खुश हुआ करते थे।

लकिन आज समय है कि,

सिक्के-नोट में परिवर्तित होकर भी

हमें वह खुशियाँ नहीं दे पा रहे हैं।


 क्योंकि एक समय वह था...

और एक समय यह है...

बस समय ही ऐसा था, जिसे हम रोक नहीं पाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract