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Atul Sharma

Abstract

5.0  

Atul Sharma

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वक्त हमेशा एक सा नहीं होता

वक्त हमेशा एक सा नहीं होता

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वक्त वह था जब हम गांव में

मिट्टी के घर बनाकर खुश हुआ करते थे।

लेकिन आज वक्त की कलाकारी

कुछ ऐसी है कि चाह कर भी

ईंटों वाला घर नहीं बना पा रहे हैं।


उस वक्त की सुबह बड़ी ही

खुशनुमा हुआ करती थी,

लेकिन आज की सुबह

दफ़्तरों की तैयारी के साथ होती है।


उस वक्त की शाम भी

बड़ी कमाल को हुआ करती थी।

लेकिन आज तो, शाम में

परिवार को ही वक्त नहीं दे पा रहे हैं।


कहते है परिवर्तन प्रकृति का नियम है

लेकिन इस नियम के अनुसार

कब-कितने बड़े हो गये

आज तक समझ नहीं आया।


वह वक्त ही था जो दोस्तों से

साइकिलों की प्रतियोगिताए करवाता था।

लेकिन आज उस प्रतियोगिता को,

जिंदगी की प्रतियोगिता कहीं पीछे छोड़ आयी है।


वक्त हर पल एक सा नहीं होता है

क्योंकि वक्त ही है जो प्रत्येक व्यक्ति को,

वक्त (समय) की पहचान करवाता है।

हर वक्त में प्रत्येक व्यक्ति को

वक्त का सम्मान करना चाहिए।


क्योंकि बुरे वक्त में व्यक्ति को

धैर्य रखना चाहिए,

और अच्छे वक्त में व्यक्ति को

हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।


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