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Atul Sharma

Inspirational

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Atul Sharma

Inspirational

मेरी मातृभूमि

मेरी मातृभूमि

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तुम क्या बात करोगे मातृभूमि की

जिसकी खातीर लाखों शीश कट चुके है।

अरे तुम क्या बात करोगे उस वतन की,

जिसकी खातीर अमर जवान शहीद हुए है।



तुम्हें क्या पता देशभक्ति क्या होती है।

जरा पूछो उनसे जिसकी होली-दीपावली सरहद पर मनती है।

तुम कहाँ मानोगे उस माँ का कलेजा,

जिसने अपने सपूत को मात्रभूमि की सेवा के लिए छोड़ा है।



तुम कहाँ मानोगे उस पिता का फर्ज़,

जिसने अपने चिराग(हिरे) को मात्रभूमि की रक्षा के लिए छोड़ा है।

जरा पूछो उससे,जिसकी एक संतान को भी,

वह भारत माता के लिए कुर्बान कर चुका है।

और तुम देशद्रोही लोग आज उन्ही पर सवाल खड़ा कर रहे हो।


तुम्हें क्या पता है,उस गोली पर किसका नाम लिखा है।

लेकिन उस सैनिक पर थोड़ा तो विश्वास रखो जो

तुम्हारी सेवा के लिए दिन-रात गोली के सामने सरहद पर खड़ा है।


तुम्हें क्या पता आने वाली राखी पर उसकी बहन

किसकी कलाई पर राखी बाँधेगी।

लेकिन उस सैनिक से पूछोगे तो उसके लिए

पूरे भारत की बहन स्वतंत्र और

निडर होकर राखी का पर्व मनाएगी।


तुम्हें क्या पता है एक भाई होने के नाते,

उसका छोटा भाई, उससे(सैनिक) रोज़ बाते किया करता है।

और बातों ही बातों में घर की सारी परिस्थितियां कहा करता है।


तुम्हें नही पता उस पत्नी की व्यथा,

जिसका सुहाग सरहद पर खड़ा है।

क्योंकि उस सैनिक को पता है,

उसकी सुहागन बहनें करवाचौथ पर

चाँद की प्रतिक्षा के लिए छत पर खड़ी है।


तुम्हें क्या पता उस बच्चे का स्वाभिमान,

जिसका पिता भारत के बच्चों की

रखवाली के लिए आज भी सरहद पर खड़ा है।


अरे जालिमों अब तो सेना पर संदेह ना करो।

ओर यदि संदेह भी करना हो तो एक बार

तुम्हारे बेटों को भी तो सरहद पर भेजने का साहस करो।










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