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Atul Sharma

Classics

4.7  

Atul Sharma

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ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ

ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ

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मैं भी अब अपनी ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ

और कुछ समय, मैं स्वयं पर व्यतीत करना चाहता हूँ।

बहुत ही समय दे चुका हूँ, इस नादान सी ज़िन्दगी को

मैं अब कुछ समय शांत रहना चाहता हूँ।


ज़िन्दगी की सारी खुशियों को अब सम्मिलित करना चाहता हूँ

मैं अब थोड़े कम में ही बहूत खुश रहना चाहता हूँ।

ना समझ सी छोटी ज़िन्दगी में, मै अपनों को

अपना सहयोग देना चाहता हूँ।

मैं अब बस थोड़े में ही बहुत खुश रहना चाहता हूँ।


मैं स्वयं को अब परिपक्वव बनाना चाहता हूँ

और स्वयं को स्वयं से परिचित करवाना चाहता हूँ। 

मैं भी अब अपनी ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ

निराशाओं को अब आशाओं में परिवर्तित करना चाहता हूँ।


मैं अब भी, सभी की आशाओं का सम्मान करना चाहता हूँ

मैं भी अब अपनी ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ।

मैं हिमालय की झाड़ियों में अकेले अपना जीवन व्यतीत करना चाहता हूँ

मैं समुद्र की लहरों से कुछ अपनी बातें करना चाहता हूँ।


मैं पर्वतों से गिरते हुए जलप्रपात के बीच अब रहना चाहता हूँ

मैं नदियों के तेज बहाव से कुछ बातें करना चाहता हूँ

क्योंकि मैं भी अब अपनी ज़िंदगी से प्यार करना चाहता हूँ।


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