कहमुकरी
कहमुकरी
चाय साथ में उसके पीना।
उसकी बातें सुनकर जीना।
वह है जीवन का श्रृंगार।
क्या सखी साजन ? नहीं अखबार।।1
रूप-रंग है उसका न्यारा।
वह लगता है मुझको प्यारा।
दिखता जैसे पर सुरखाब।
क्या सखी साजन ? नहीं गुलाब।।2
दूर करे गम की परछाई।
बनकर आए कभी दवाई।
नशा बड़ा उसका मतवाला।
क्या सखी साजन ? नहीं सखी हाला।।3
काया उसकी भरकम भारी।
रखे सुरक्षित चीज़ें सारी।
जाऊँ उस पर मैं बलिहारी।
क्या सखी साजन ? नहीं अलमारी।।4