जीवन के बाद
जीवन के बाद
सदियों पुराना एक सवाल
मरणोपरांत का क्या है राज
जीवन के काल चक्र से मुक्त हो
क्या होता है जीवन के बाद
किए पाप अनेक जो
छिपाने को पाप एक जो
कालचक्र माया के
तराजू में टेट अपने आप
लोभ लालच के घेरे में
घिरा जो तू जीवन भर
स्वार्थी बन छोड़े तुझे भी
घाट पर छोड़ तेरा साथ
किए जो लाखों खर्च तूने
बनाने में अपना एक मकान
खरीदे लाखों के सपनों के घरौंदे
बना दिया सबको शमशान
तेरे कर्म हैं तेरा परिचय
सुयश मोक्ष मिले तुझे
छोड़ क्रोध मोह पाप की माया
बना समान जीवन, जीवन के बाद।
