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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

सकल धरा है एक परिवार

सकल धरा है एक परिवार

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सनातन संस्कृति है इकलौती,

समावेशी है जिसका विचार ।

सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन,

सकल धरा है एक ही परिवार।


होता है दायित्व हर परिजन का,

सकल कुटुंब के हित में करें काम।

अंत: प्रेरित कार्य है होता है यह तो,

न कोई अपेक्षा भाव हो केवल प्यार।


सनातन संस्कृति है इकलौती,

समावेशी है जिसका विचार ।

सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन,

सकल धरा है एक ही परिवार।


स्वार्थ भाव को त्याग दें मन से,

सबके हित का सब रखें ध्यान।

सबसे हित में अपना हित सोचें,

अपने सम करें सबसे ही प्यार।


सनातन संस्कृति है इकलौती,

समावेशी है जिसका विचार ।

सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन,

सकल धरा है एक ही परिवार।


हम पहले खुद को सशक्त बनाएं,

अर्जित शक्ति जग हित में लगाएं।

सीमाओं में मत बांधें भावों को हम,

समस्त जगत को माने निज परिवार।


सनातन संस्कृति है इकलौती,

समावेशी है जिसका विचार ।

सम्पूर्ण जगत के जन हैं परिजन,

सकल धरा है एक ही परिवार।


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