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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

हम ही अपने पहले दोस्त

हम ही अपने पहले दोस्त

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प्रकृति का हर एक ही कण,

है अति विशिष्ट रहे यह भान।

आप अपने ही सर्वश्रेष्ठ दोस्त,

कभी भी न भूलें उत्कृष्ट ज्ञान।


जिस हेतु हम इस जग में आए,

विस्मृत तो न करें उद्देश्य अपने।

कुशलताएं हम जो करेंगे अर्जित,

तब ही तो पूरे करेंगे अपने सपने।


अर्जित कौशल जग हित में लगाएं,

यहीं है कमाया सब यहीं खर्च जाएं।

मैत्री भाव वाली प्रकृति हो हमारी,

हैं संतति प्रकृति की वो जननी हमारी।


पाला है प्रकृति ने हम सबको ही,

हम सब प्रकृति का ऋण तो चुकाएं।

प्रकृति का यथाशक्ति संरक्षण करें,

हम जगत को स्वर्ग से भी सुंदर बनाएं।


मित्रता ही सच्ची सम्पत्ति है इस धरा की,

बैर समूल मिटाएं सुमन मैत्री के खिलाएं।

आप स्वयं के हैं सबसे पहले सच्चे मित्र,

निज मित्रता की मधुर वाटिका विकसाएं।


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