मत ले इतने इम्तिहान, ऐ ज़िन्दगी
मत ले इतने इम्तिहान, ऐ ज़िन्दगी


मत ले ऐ ज़िंदगी मेरा इम्तिहान,
क्योंकि मुझमे अभी भी जान बाकी है।
मेरे इम्तिहान का हौसला मत गिरा,
क्योंकि मुझमे अभी भी जान बाकी है।
मुझे कमजोर मत समझ ऐ ज़िंदगी,
तूझको हराकर ही जीना सीखना अभी बाकी है।
इम्तिहान की भी हद होती हे, ऐ ज़िंदगी,
क्योंकि तेरा हिसाब चुकाना अभी बाकी है।
इम्तिहान तो तू हर रोज़ लेती है, मेरा ऐ ज़िंदगी।
लेकिन ज़रा ठहर तो सही मुझमें अभी जान बाकी है।
डरता हूँ की कहीं जीत न जाऊँ तूझसे ऐ ज़िंदगी।
और यदि जीत गया तो, तुझसे बाजी मारना न सीख पाऊंगा ज़िन्दगी।
सुना है बहुत से राहगीरों को तूने उनकी राहो से हटाया है।
लेकिन ज़रा ठहर तो सही, इस राहगीर का जीतना, तुझसे अभी बाकी है।
बहुत ही कम उम्र में मेरे इम्तिहान लिए है, ऐ ज़िंदगी।
लेकिन सच बात तो यह है की तेरे ही,
इम्तिहानों ने मुझे जीना सिखाया है ऐ ज़िंदगी।