Rajeev Tripathi

Classics

4.5  

Rajeev Tripathi

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भक्त प्रहलाद

भक्त प्रहलाद

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राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को

ब्रह्मा से वरदान मिला था

संसार का कोई भी जीव

देवता राक्षस मनुष्य उसे

ना मार सके

ना रात में हो मृत्यु ना दिन में

ना धरती पर ना आकाश में

ना घर के अंदर

ना बाहर ना शस्त्र ना अस्त्र

उसको मार सके  

निरंकुश हो राजा हिरण्यकश्यप ने

अत्याचार किया था

हिरण्यकश्यप ने प्रजा पर

यूँ अत्याचार किया था

मैं ही पूजा जाऊंँ मेरी हो स्तुति

यह ऐलान किया था

हिरण्यकश्यप के यहांँ प्रहलाद ने

पुत्र बन जन्म लिया था

विष्णु भक्त प्रहलाद पर

हिरण्यकश्यप ने

अत्याचार किया था

दबाव बनाया प्रहलाद पर

की पिता को पूजे

जब प्रह्लाद ना माना उस पर

हिरण्यकश्यप ने अत्याचार

किया था

हिरण्यकश्यप की बहन

होलिका को

जब यह वरदान मिला था

अग्नि में ना जले यह वरदान

मिला था

विष्णु भक्त प्रहलाद को

हिरण्यकश्यप ने

होलिका की गोद में प्रहलाद

को बिठाया

होलीका अग्नि में जा बैठी

विष्णु भक्त प्रह्लाद ने

विष्णु की स्तुति की

धुं धुं करके जली होलीका

प्रह्लाद का ना बाल बांका हुआ था

याद में इसीलिए होली का

त्योहार मना था।



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