विस्मित मन आकाश सा, जीवन राग ढूंढ़ रहा,
विस्मित मन आकाश सा, जीवन राग ढूंढ़ रहा,
विस्मित मन आकाश सा,
जीवन राग ढूंढ़ रहा,
बिखर गये हैं शब्द सभी,
सुर भी मानो रूठ गया,
रूंधा-रूंधा है कण्ठ मेरा,
आशंकाओं से मन घिरा,
शूलों से भरे इस उपवन में कोमल राग ढूंढ़ रहा,
निर्विकार हर स्वप्न हुआ,
वेदना से संतृप्त मन हुआ,
अभिशप्त सृष्टि का कण-कण हुआ,
अंधेरे में उम्मीदों का धवल प्रकाश ढूंढ़ रहा,
कस्तूरी मृग सा मन वन-वन भटक रहा,
मन के तारों से उत्पन्न जीवन राग इत- उत ढूंढ़ रहा।