क्या कहूँ?
क्या कहूँ?
क्या कहूँ,
कब तक सहूँ,
हर तरफ दु:खों का मंजर है,
कोरोना ने कैसा घोंपा खंजर है।
हर दिन मौत की खबर,
मन मस्तिष्क पर कैसा असर,
घोल रहा जीवन में जहर,
कब तक रहेगा अनजाना कहर।
बहुत याद आते है जाने वाले,
जिंदगी में बन गए मकड़ी के जाले,
गमों के बीच खुशियों के गीत गा ले,
ए बंदे सकारात्मक भाव जगा ले।।