खेला होवे ?
खेला होवे ?
आह व वाह का खेला है,
ज़िंदगी खुशी गमों का मेला है,
जिसने कोरोना में अपनों को खोया है,
उसके लिए हर दिल रोया है।।
दिल की बात कह ले,
या उसको पन्ने पर लिख ले।
जीवन पर खतरे तीसरी,चौथी,
पांचवी लहर के आते जाते रहेंगे।
सावधानी रख,बात अपनों से कर,
बचने का ये भी एक हल है।
जी ले जी भर के आज,
ना जाने आए कल कैसा पल है।।
कितने भी इंश्योरेंस करा लो,
लाखों-करोड़ों जेब में बचा लो।
आएगी जब वो घड़ी,
दीवार पर ही नजर आएगी तस्वीर टंगी।
ऐसा काल आया है,
मौत वाले घर कोई नहीं जा पाया है।
जीने मरने की सबको पड़ी है,
हर बन्दे कर रख ले ध्यान,
आई ऐसी नाजुक घड़ी है।।
मालिक सेवादार एक दूसरे की कड़ी है,
घूम रही वक्त की ऐसी छड़ी है।
लाख दुनियां के देखो सितम ढा गए,
बचते बचाते हम कहाँ आ गए।
दिव्य शक्ति के हम आभारी है,
जिसने बनाई दुनियां सारी है।चुप चाप रहो,
हर दुख सहो।
कोरोना का दूसरा साल है,
रोजगार का बुरा हाल है।।
जून माह में मेघा नही बरसे,
बूंद बूंद पानी को तरसे।।
काम किया खूब,
पसीने में रहे डूब।।
लगे करेन्ट के झटके,
आई फिर तनख्वाह कट के।।
वक्त फिर बदलेगा,
घर पहले से अच्छा चलेगा।
पहले रख ले अपनी सावधानी,
नहीं तो कैसे बचेगी जिंदगानी।।
मत कर अभिमान,
झूठी है सबकी शान।
बस इतनी बात मान,
दुआओं से बचा ले जान।।
मास्क है मुँह नाक पर जरूरी,
दो गज अपना लो दूरी,
आई विपदा भारी,
टीके की सबकी जिम्मेदारी।।