कविता की कविता से, अब अच्छी बनती है कविता। कविता की कविता से, अब अच्छी बनती है कविता।
जब भी कोई क़लम, आह भरती है। जब भी कोई क़लम, आह भरती है।
जो फिर ना अनजान हो, ज्ञान बढ़ाना जोड़। जो फिर ना अनजान हो, ज्ञान बढ़ाना जोड़।
दो राष्ट्रों के मध्य की है यही सियासत व शराफत। दो राष्ट्रों के मध्य की है यही सियासत व शराफत।
वाह री आशिकी तूने जाने कितनों को बरबाद किया! वाह री आशिकी तूने जाने कितनों को बरबाद किया!
आई विपदा भारी, टीके की सबकी जिम्मेदारी।। आई विपदा भारी, टीके की सबकी जिम्मेदारी।।