STORYMIRROR

वंदना सिंह

Others

0  

वंदना सिंह

Others

क़लम

क़लम

1 min
293


जब भी कोई क़लम, आह भरती है।

ना जाने क्यों ये दुनिया, वाह - वाह करती है?


Rate this content
Log in

More hindi poem from वंदना सिंह