ऊंट किस करवट बैठेगा?
ऊंट किस करवट बैठेगा?
मुद्दों से हटकर जो बड़े बोल, बोल रहे हैं,
विकास क्या हुआ हैं उसकी पोल खोल रहे हैं।
चुनावों में विकास के मुददे गायब हो रहे हैं,
जाति, धर्म के नाम पर वो चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनाव में सबकी जुबान लड़खड़ा गई हैं,
भर्ती, चर्बी की जुबानी से गर्मी आ गई हैं।
क्या हर आदमी त्रस्त हैं,
नेताजी अपनी धुन में व्यस्त हैं।
विकास की रफ्तार सुस्त हैं
वोटों की खातिर राशन मुफ्त हैं।
बस इतना कहना हैं आपसे,
बचो लुभावने वायदों के जाल से।
बांध लो गांठ, दस फरवरी को
मतदान करना पूरे उल्लास से।
देखो ऊँट किस करवट बैठेगा ?
दस मार्च को पूरा उत्तर प्रदेश देखेगा।