हम कहां शायर थे
हम कहां शायर थे
हम कहां शायर थे
बस मन के चार शब्द लिखते थे
पर वो मन भी खाली था
क्योंकी उसमे तुम नहीं थी
ऊन चारो आपके लब्जोंने घायल किया
वरना हम कहां खो जाते
अपनेही दिलको समझाके
युंही भटक जाते
अंधेरी रात में भी
चैंन से सोते थे
तुमसे मिलने से पहले
हम कहां शायर थे
