बंदिशें
बंदिशें
बंदिशें तब तक ही
बंदिश में रहती है
जब तक
ज़िस्म एक करुण
रूप
धारण किये रहता है
आत्मा की तृप्ति
रूहानी है
वहां बंदिशें
कैसी भी हो
किसी भी
तरह की हो
रूहानी हो जाती है।
बंदिशें तब तक ही
बंदिश में रहती है
जब तक
ज़िस्म एक करुण
रूप
धारण किये रहता है
आत्मा की तृप्ति
रूहानी है
वहां बंदिशें
कैसी भी हो
किसी भी
तरह की हो
रूहानी हो जाती है।