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SANDIP SINGH

Classics

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SANDIP SINGH

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सज धज कर राधा चली

सज धज कर राधा चली

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सज धज कर राधा चली, कृष्ण मिलन की प्यास।

लगती सुन्दर गजब की, उनसे ही है आस।।


सज धज कर राधा चली, यमुना तरनी पास।

रखी बसा मन श्याम को, मुरली की धुन खास।।


सज धज कर राधा चली, वृंदा वन में रास।

सखियां सब हैं साथ में, करे सभी परिहास।।


सज धज कर राधा चली, लिए दिव्य मुस्कान।

नयनों में काजल लगी, गोपी की हैं शान।।


सज धज कर राधा चली, प्रीतम मिलने आज।

सभी गोप के मुख्य जो, गिरधर हैं सरताज।।


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