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तुझ से प्यार है कितना

तुझ से प्यार है कितना

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तुझ पर इख्तियार है कितना

तुझ से प्यार है कितना

तू सदा मेरे पहलू में रहे

फिर भी तेरा इंतज़ार है कितना।

जिन्दगी जीना भारी है कितना

हर दिन यादों का मंजर लूट पड़ता है

खुद को खो दिया तुझमे इतना

कि हर गम मुझ पर टूट पड़ता है।

तन्हाई का आलम है इतना

तेरी यादों का साया टूट पड़ता है

तूने नफ़रत का सिला दिया है इतना

मेरे सब्र का बांध टूट पड़ता है।


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