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AVINASH KUMAR

Romance

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AVINASH KUMAR

Romance

सजाया था एक ख्वाब

सजाया था एक ख्वाब

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सजाया था एक ख्वाब

उसकी हँसी से घर को सजाने का

उसको अपनी प्रियतम बनाने का..


सजाया था एक ख्वाब

एक शाम उसको खूब निहारने का

नज़रों से उससे नज़रें मिलाने का..


सजाया था एक ख्वाब

प्रेम उससे जन्मों-जन्मों तक निभाने का

खुद को उसकी हँसी का साज बनाने का..


सजाया था एक ख्वाब 

रूह से रूह का नाता जोड़ने का

दोनों को एक-दूसरे में खोजने का..


सजाया था एक ख्वाब

ज़िन्दगी की बाहों में उसको भरने का,

गले लगा दिलों की धड़कनें सुनने का..


सजाया था एक ख्वाब

लबों से लबों की नमी को अदा करने का,

उससे किया हुआ वो वादा पूरा करने का..


सजाया था एक ख्वाब

साँसों से साँसों का संवाद करने का

बिन बोले उससे बेइंतहा प्यार करने का..


सजाया था एक ख्वाब

हर त्यौहार खुद को उसकी मेहँदी में रचने का

एक श्रृंगारित रात्रि में एक-दूसरे में सजने का..


सजाया था एक ख्वाब

आँख कभी न उसकी तर होने देने का

उसके सारे आँसुओं को पी लेने का..


सजाया था एक ख्वाब

रूह के मिलन से उसे अर्धांगिनी बनाने का

हर रोज सिन्दूर से उसका दामन महकाने का..


सजाया था एक ख्वाब

ये ख्वाब कभी नहीं टूटने का

साथ उसका जन्मों-जन्मों तक न छूटने का..।


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