चाहा नहीं था तुमसे कुछ भी, बस एक स्नेह का बंधन था, चाहा नहीं था तुमसे कुछ भी, बस एक स्नेह का बंधन था,
सजाया था एक ख्वाब उसकी हँसी से घर को सजाने का। सजाया था एक ख्वाब उसकी हँसी से घर को सजाने का।
था पास मेरे हर कोई मेरा अपना , जो मुझे रो रोकर जगा रहा था था पास मेरे हर कोई मेरा अपना , जो मुझे रो रोकर जगा रहा था
न दर्द से हो वाकिफ़ न दिल्लगी से, दाग और दामन की सर जमी में, न दर्द से हो वाकिफ़ न दिल्लगी से, दाग और दामन की सर जमी में,
#द लास्ट पेज ऑफ़ माय लाइफ था मैं नींद में और. मुझे इतना सजाया जा रहा था.... #द लास्ट पेज ऑफ़ माय लाइफ था मैं नींद में और. मुझे इतना सजाया जा रहा था....
के चलते है बहुत रास्ते नया रास्ता बनाया है हर रास्ते को यूं मैंने सपनों से सजाया है के चलते है बहुत रास्ते नया रास्ता बनाया है हर रास्ते को यूं मैंने सपनों से सज...