थोड़े से व्यस्त
थोड़े से व्यस्त
थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो,
लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।।
तुम कहीं खो गए हो,
अपने काम मे गुम हो गए हो,
शायद अब तुम्हारे दिल से वो यादें मिटने लगी है,
शायद अब वो एहसासों से भरी चाय की प्याली फीकी पड़ने लगी है,।।
थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो,
लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।।
काश मैं तुम्हारी कलम होती,
हर लम्हा तुम्हारी उंगलियों में उलझी रहती,
वो पहले जैसी अब मुलाकाते नही होती है,
बस अब नाम की ही बाते होती है,।।
थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो,
लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।।
दरमियान हमारे मजबूरियों ने जगह ना जाने कब बना ली,
जो साथ लिखी थी ख्वाबों की किताब वो बरसात में गीली हो गई,
आप अपने किस्से कहानियों में व्यस्त है,
और हम इन रिश्तों की बिखरती माला समेटने में व्यस्त है,।।
थोड़े से व्यस्त रहने लगे हो,
लगता है एहसासों से परे रहने लगे हो,।।
थोड़ा वक्त मैं चुरा लूंगी थोड़ा वक्त तुम ले आना,
फुर्सत के दो पल तोहफ़े में ले आना,
रिश्तों को संभालना थोड़ा –थोड़ा हम दोनो सीखते हैं
आओ इस सफ़र में दोनो एक दूसरे को समझते हैं,।