तेरी दास्तानें
तेरी दास्तानें
महकते गुलशन से, ख़ुश्बू चुरानी है,
तेरी दास्तानें मुझे, हर-सू सुनानी है।
तेरी आँखों को, चूमना है शायर को,
पास आके तेरे ये, आरज़ू सुनानी है।
गुज़रे दौरे-वबा तो तुझसे मिलूँगा मैं,
दिल पर जो गुज़री, हूबहू सुनानी है।
तेरे ख़यालों को रूबरू जिया है मैंने,
तुझको ये दास्तान-ए-जुनूँ सुनानी है।
तेरी तारीफ़ें पहुँची है, दुश्मनों के दर,
तुझे दास्तां-ए-रश्क़-ए-अदू सुनानी है।