ये ज़िंदादिली …
ये ज़िंदादिली …
ज़िंदगानियाँ किनारा बदलती रहीं, मेरे साथ साथ!
यहां पहुंची था मैं, बहकर…
बह जाना है मुझे, कुछ
देर यहां रहकर…
कुछ तो ले जाऊंगी जरूर, बेशक खाली…
रहेंगे दोनों हाथ…
पर मेरे कर्मों का पिटारा
वो भी ना रोक पाएगा …
जो मैं ले जाऊँगी अपने साथ …
परेशानियाँ किनारा बदलती रहीं, मेरे साथ साथ,
वो भी ज़माने थे, कुछ मेरे अपने
मेरी जान से भी प्यारे थे
छोड़ के मेरा हाथ
चले गये …
रह गये जो बाक़ी
वो बस अफ़साने थे …
आज भी यहीं हूँ
कल भी यहाँ रहूँगी …यशवी
बस नया चेहरा ले कर आयी थी
एक पुराने फ्रेम में टिक जाऊँगी
कुछ भी ना बदलेगा …
बस नया पुराना …
दोहराया जाएगा …
कहानियां बदलती रहेंगी
मेरे साथ साथ!
शायद उसकी किताब
जो अधूरी थी …
पूरी होती जायेगी …
हर नये चेहरे के साथ
नए नए लम्हे दोहराएगी …
यही मेरी नियति, यही मेरी गति ,
यही गाथा उसने लिखी है
क्यों असमंजस में हो
वो नहीं
बदला,
रहा जस का तस,
क्यों घबराना, क्यों डगमगाना,
नहीं लौट आना,
बस इतना सा जीवन है
परेशानियों का आना
चले जाना
फिर मुस्कुराना नए रूप को दोहरा जाना …
ज़िंदादिली से जी लो सभी …
कुछ लम्हे ,कुछ यादें …
छोड़ जाना यहां …
जिसे देख के …
हर नये चेहरे को मुस्कुराना है
हाँ यही सब का फ़साना है
