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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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शांति का लिबास पहनाया जाए

शांति का लिबास पहनाया जाए

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इस दुनिया को खून- खराबा से कैसे बचाया जाए,  

गगन में जो लगी है आग उसे कैसे बुझाया जाए !


धुआँ-धुआँ हुआ है आज चारों तरफ से आसमां,  

उसे अब कैसे शान्ति का लिबास पहनाया जाए !  


इंसानियत खौफ़ खा रही है आज हैवानियत से,  

मिसाइलों के पैरो में अब ताला कैसे लगाया जाए !


रूस, यूक्रेन, ताइवान सब फँस चुके हैं समस्या से,   

उस तबाही से अब कायनात को कैसे बचाया जाए !    

युद्ध के लिए मत उकसाओ किसी दुनियावालों को,

बहादुरों के गिरते ग्राफ को किसी तरह उठाया जाए !


यतीम न बनें ये धरती और न ही कोई ज़रा बिलखे,  

सबके दिलों को वफ़ा की चाँदनी से नहलाया जाए !



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