ritesh deo

Abstract Drama

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ritesh deo

Abstract Drama

रिश्ते

रिश्ते

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मैं मानता हूँ जब भी किसी रिश्ते में से किसी इक को निकलना हो तो

बिना किसी साज़िश के बिना उस रिश्ते को ख़राब किए हुए बिना

किसी को नीचा दिखाए बिना सही ग़लत की लड़ाई किए

शांति से उस रिश्ते से निकल जाना चाहिए  


सामने वाले को इक बार ज़ोर से गले लगा कर जो की उस रिश्ते का हक़ था 

सिवाय तुम ग़लत मैं सही मैंने ये किया तुमने वो किया 

जिसे जाना होता है वो जाता है यार तुम लाख रो लो गा लो मर लो

और सत्य तो ये भी है कि मरते तुम भी नहीं जो सोचते थे की उसके जाने के बाद मर जाओगे 

तो छोड़ो बढ़ो आगे क्यूँकि उसको किसी और का हाथ थाम लिया ही होगा

उसने चाहे खुद की मर्ज़ी से या किसी और की मर्ज़ी से  


बस तुम अपने मन से सच्चे रहना ताकि वो कभी किसी चौराहे पे

ज़िंदगी के किसी मोड़ पे इतेफाकन मिल भी जाए

तो तुम उसकी आँखों में आँखें डाल के उसे देख तो सको

और उन आँखों में बस इशारे से बोल सको की

मैंने बोला था ना मैं तुम्हारे बिना किसी का नहीं तो मैं किसी का नहीं

पर हाँ अब जो हमारा वादा था मिलने पे तुम्हें बाँहों में भरने का

उसका अब मुझे हक़ भी नहीं रहा


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