आज डूब जाने दे
आज डूब जाने दे
आज डूब जाने दे इन
आंखों के मधुमत प्यालों में,
सर्वस्य निछावर करने दे
रस से लवनीन गुलाबों में,
यौवन के अंगारों का रस
भंवरा बन पीने दे मुझ को,
चिन्ता, व्यथा, निराशा मूला
इक पल ही तो पाया मैंने,
पंख लगा कर उड़ते जाते
इक लम्हें को पकड़ा मैंने।