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Amit Singhal "Aseemit"

Drama Romance Classics

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Amit Singhal "Aseemit"

Drama Romance Classics

झुकी झुकी सी नज़र

झुकी झुकी सी नज़र

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यह तुम्हारी झुकी झुकी सी नज़र।

मेरे दिल पर करती है गहरा असर।


झुकी नज़रों में कई गहरे राज़ होते हैं।

कभी अपने तो कभी दग़ाबाज़ होते है।


कभी मेरी चुलबुली शरारत करने पर।

सुर्ख लाल रंग आए तुम्हारे गालों पर।


होंठों पर प्यारी सी मुस्कान खेल जाए।

और यह नज़र हया से नीचे झुकी जाए।


 मेरे शिकवा और शिकायत करने पर।

अपनी बेक़सूर मासूम नज़रें झुका कर।


तुम हमेशा अपने होंठों को सी लेती हो।

बिना बोले, बस ख़ामोशी ओढ़ लेती हो।


मेरे अपने दिल का सुकून ज़ाहिर करने पर।

मस्ती भरी बातों पर हँसना खिलखिलाकर।


हँसते हुए तुम्हारी आँखों में पानी आ जाना।

अपना चेहरा घुमाकर अपनी नजरे झुकाना।


कभी संकोच कभी सम्मान में झुका लेती हो।

इन नज़रों से मुझसे कई रिश्ते निभा देती हो।


बिन बोले अपनी नज़रों से कितना बोलती हो।

झुकी झुकी सी नज़रों से हर राज़ खोलती हो।


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